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चक्षुष्-जिस इन्द्रिय से रूप का ज्ञान किया जाता है, देखा जाता है, वह चक्षुष् इन्द्रिय है; अर्थात् नेत्र-Sense of sight (Eyes)
घ्राण—जिस इन्द्रिय से गन्ध का ज्ञान किया जाता है, सैंधा जाता है, वह घ्राण इन्द्रिय है; अर्थात् नाक-Sense of smell (Nose).
रसन-जिस इन्द्रिय से रस का ज्ञान किया जाता है; अर्थात् स्वाद लिया जाता है, वह रसन इन्द्रिय है; अर्थात् जिह्वा Sense of test (Tongue).
स्पर्शन-जिस इन्द्रिय से स्पर्शन का ज्ञान किया जाता है, वह स्पर्शन इन्द्रिय है; अर्थात् त्वचा Sense of Touch.
इन्द्रियों की तरह मन भी ज्ञान का साधन है, फिर इसको इन्द्रिय क्यों नहीं माना गया ? मन ज्ञान का साधन अवश्य है, परन्तु फिर भी रूप आदि विषयों में प्रवृत्त होने के लिए मन को चक्षु आदि इन्द्रियों का सहारा लेना पड़ता है । यद्यपि मन स्वतन्त्र रूप से भी अपने चिन्त्य विषय को ग्रहण करता है, फिर भी अधिकतर मन का कार्य इन्द्रियों द्वारा गृहीत विषय का चिन्तन करना मात्र है । अतः उसे इन्द्रिय न मान कर अनिन्द्रिय (इन्द्रिय जैसा) कहा गया है ।
यद्यपि मन पशु और पक्षी आदि में भी होता है, तथापि मन की सबसे विकसित अवस्था मनुष्य में देखी जाती है । क्योंकि मनुष्य का नाड़ी तन्त्र Nervous
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