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व्याख्या इन्द्रिय पाँच हैं, अतः मुख्यतया उनके विषय भी पाँच हैं शब्द, वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श । विस्तार की अपेक्षा से इनके तेईस विषय हो जाते हैं । पाँच इन्द्रिय के विषय तेईस और विकार दो सौ चालीस होते हैं ।
संसार के समस्त पदार्थ दो विभागों में विभक्त हैं-- मूर्त और अमूर्त । जिसमें वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श हो, वह मूर्त, शेष सभी अमूर्त । मूर्त; अर्थात् पौद्गलिक पदार्थ ही इन्द्रिय-ग्राह्य हो सकते हैं, अमूर्त नहीं, जैसे आत्मा आदि ।
प्रत्येक इन्द्रिय अपने विषय को ही ग्रहण करती है । दूसरे के विषय को नहीं । रूप को चक्षुष ही ग्रहण करती है । घ्राण एवं रसन आदि नहीं । सर्वत्र यही क्रम है ।
विकार
___पाँच इन्द्रियों के दो सौ चालीस विकार होते हैं और वे इस प्रकार समंझने चाहिए
श्रोत्र इन्द्रिय के तीन विषयों के १२ विकार । मूल में तीन शब्द हैं—जीव शब्द, अजीव शब्द और मिश्र शब्द । तीन शुभ और तीन अशुभ । इन छह पर राग और छह पर द्वेष । ये १२ विकार हुए ।
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