Book Title: Pacchis Bol
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 53
________________ रूप में किसी प्रकार के भी भेद-प्रभेद नहीं होते । तत्त्वार्थ सूत्र के पाँचवें अध्याय में काल को समयरूप कहा है । वे समय अनन्त हैं और परस्पर असम्बद्ध - - - e - MARAaw - - - - mmsmumemaina-me - पुण्य तत्त्व के नौ भेद १. अन्न पुण्य २. पान पुण्य ३. स्थान पुण्य ४. शय्या पुण्य ५. वस्त्रपुण्य ६. मन पुण्य ७. वचन पुण्य ८. काय पुण्य ६. नमस्कार पुण्य ( व्याख्या पुण्य सुख-रूप होता है । पुण्य क्या है ? प्राणियों की दया, दान, सेवा आदि शुभ योग से बँधने वाला शुभ कर्म पुण्य है । पुण्य से आरोग्य, सम्पत्ति, रूप, कीर्ति, दीर्घ आयुष्य और सुपरिवार आदि सुख के साधन, जीव को उपलब्ध होते हैं । यहाँ पुण्य के जो नौ भेद किए गये हैं, वे वास्तव में पुण्य के भेद नहीं, किन्तु पुण्य के कारण हैं, जो नौ विभागों में विभक्त किये गये हैं । जीव इन नौ कारणों से पुण्य का बन्ध कर सकता है—किसी दुःखित को अथवा सदाचारी व्यक्ति को अन्न, ( ४८ ) - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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