________________
प्रदेश-निरंश अंश; अर्थात् जिस अंश का दूसरा अंश नहीं हो सकता । यह स्कन्ध का सूक्ष्मातिसूक्ष्म विभाग
परमाणुप्रदेश और परमाणु एक ही है, परन्तु अन्तर इतना ही है कि जब तक वह स्कन्ध से संलग्न रहता है, तब तक प्रदेश कहलाता है और जब वह स्कन्ध से अलग हो जाता है तब उसे परमाणु कहते हैं । "स्कन्धसंयुक्तः प्रदेशः, स्कन्धविविक्तः परमाणुः ।" ___ पुद्गलास्तिकाय में स्कन्ध, देश, प्रदेश का व्यवहार स्पष्टतः परिलक्षित हो जाता है । किन्तु धर्मास्तिकाय आदि अमूर्त पदार्थों में यह सब व्यवहार बुद्धि-परिकल्पित होता है क्योंकि वे मूलतः अखण्ड पदार्थ हैं । अखण्ड पदार्थ अनादि अनन्त होता है, वह किन्हीं अवयवों से मिलकर नहीं बनता । अतः उसके देश और प्रदेश मात्र बुद्धि परिकल्पित ही हैं, वास्तविक नहीं । इसीलिए धर्मास्तिकाय आदि का चौथा भेद परमाणु नहीं माना गया है । परमाणु वही प्रदेश होता है, जो स्कन्ध से अलग होता है और धर्मास्तिकाय आदि के बुद्धिपरिकल्पित प्रदेश तीन काल में कभी भी पृथक् नहीं होते ।
काल के भेद-प्रभेद न बताकर मात्र 'दशवाँ काल' इतना ही कहा गया है । इसका कारण यह है, कि काल स्कन्ध नहीं है । अतः उसके देश और प्रदेश के
( ४७ )
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org