Book Title: Pacchis Bol
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ १५ आत्मा आठ १. द्रव्य आत्मा ३. योग आत्मा ५. ज्ञान आत्मा ७. चारित्र आत्मा बोल पन्द्रहवाँ २. कषाय आत्मा ४. उपयोग आत्मा ६. दर्शन आत्मा ८. वीर्य आत्मा व्याख्या 1 आत्मा एक शाश्वत तत्त्व है । वह अतीत में भी था, वर्तमान में भी है, और भविष्य में भी रहेगा । उसकी न उत्पत्ति है और न उसका विनाश । फिर भी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन होता ही नहीं । द्रव्य से नित्य होकर भी आत्मा पर्याय से अनित्य है, परिवर्तनशील है । जीव के परिणामों का कोई अन्त नहीं है । प्रस्तुत बोल में मुख्यतः आत्माओं की आठ स्थिति का वर्णन है । Jain Education International द्रव्य आत्मा— आत्मा असंख्यात प्रदेशों का समुदाय है । आत्मा अखण्ड है, वह कोई असंख्य प्रदेशों से संयुक्त रूप में निमित्त नहीं हुआ है । प्रदेश, कल्पनामात्र बुद्धि - परिकल्पित हैं । वे प्रदेश आत्मा से पृथक् तथा विभाजित नहीं किये जा सकते । ( ६४ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102