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४. भाव से वर्ण-गंध-रस-स्पर्श-रहित, अरूपी, जीव,
शाश्वत, लोकवर्ती ५. गुण से उपयोग गुण, चन्द्र की कला का दृष्टान्त ।
पुद्गलास्तिकाय के पाँच भेद १. द्रव्य से अनन्त २. क्षेत्र से लोक-प्रमाण ३. काल से आदि-अन्त-रहित ४. भाव से वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्श-सहित, रूपी, अजीव,
शाश्वत, लोकवर्ती ५. गुण से पूरण-गलन गुण, मिलते-बिखरते बादल
का दृष्टान्त ।
व्याख्या
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प्रस्तुत बोल में षड्द्रव्य का निरूपण किया गया है । द्रव्य पदार्थ और वस्तु ये एकार्थवाची शब्द हैं । जिसमें गुण और पर्याय रहते हैं, उसे द्रव्य कहते हैं । द्रव्य का सहभावी अनादि अनन्तकालीन धर्म गुण कहलाता है और द्रव्य का क्रमभावी क्षणवर्ती धर्म पर्याय कहलाता है । द्रव्य, गुण और पर्याय तीनों परस्पर सम्बद्ध हैं । द्रव्य के बिना गुण और पर्याय नहीं, और गुण एवं पर्याय के बिना द्रव्य नहीं । गुण नित्य होता है, और पर्याय क्षणिक ।
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