Book Title: Pacchis Bol
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 39
________________ ११ गुणस्थान चौदह १. मिथ्या दृष्टि गुणस्थान २. सास्वादन सम्यग्दृष्टि गुणस्थान ३. सम्यग् मिथ्यादृष्टि (मिश्र) गुणस्थान ४. अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान ५. देशविरत गुणस्थान ६. प्रमत्त संयत गुणस्थान ७. अप्रमत्त संयत गुणस्थान ८. निवृत्ति बादर सम्पराय गुणस्थान ६. अनिवृत्ति बादर सम्पराय गुणस्थान - बोल ग्यारहव १०. सूक्ष्म सम्पराय गुणस्थान ११. उपशान्त मोह गुणस्थान १२. क्षीण - मोह गुणस्थान १३. सयोगी केवली गुणस्थान १४. अयोगी केवली गुणस्थान आत्मा की अशुद्धतम दशा से लेकर शुद्धतम दश तक, संसार अवस्था से लेकर मुक्ति अवस्था तक और ( ३४ ) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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