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काय का अर्थ है शरीर । उसके पाँच भेद हैं । शरीर का व्यापार सात प्रकार का ही हो सकता है, अधिक नहीं । अतः काय योग के सात भेद किये गये
कार्मण योग की तरह तैजस योग क्यों नहीं माना गया ?
उसके स्वतन्त्र रूप में मानने की आवश्यकता नहीं है । जो व्यापार कार्मण शरीर का है, वही तैजस शरीर का है । क्योंकि तैजस और कार्मण शरीर सदा सहचर रहते हैं । अतः कार्मण योग में ही तैजस योग समाहित हो जाता है ।
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