Book Title: Pacchis Bol
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 22
________________ ww प्राण दस १. श्रोत्र बल प्राण ३. प्राण बल प्राण ५. स्पर्शन बल प्राण बोल छठा २. चक्षुष् बल प्राण ४. रसन बल प्राण ६. मन बल प्राण ७. वचन बल प्राण ८. काय बल प्राण ६. श्वासोच्छ्वास बल प्राण १०. आयुष्य बल प्राण व्याख्या प्राण; अर्थात् जीवन जीने की शक्ति । जिस शक्ति के संयोग से जीव जीवित रहे और वियोग से मर जाय, वह प्राण है । प्राण जीव के बाह्य लक्षण हैं । प्राणों के बिना जीव जीवित नहीं रहता । शास्त्र में प्राण के दो भेद हैं-द्रव्य और भाव । जो प्राण केवल संसार अवस्था में ही मिलता है, मुक्त दशा में नहीं; वह द्रव्य प्राण कहा जाता है । द्रव्य प्राण के दश भेद हैं । Jain Education International पाँच इन्द्रिय, तीन योग और श्वासोच्छ्वास तथा आयुष्य, ये सब मिलकर दश द्रव्य प्राण हैं । जो प्राण मुक्त दशा में भी आत्मा के साथ रहते ( १७ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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