Book Title: Nandanvan Kalpataru 2001 00 SrNo 06
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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पविशतिशत(२६००)तमजन्मवर्षे भगवतां श्रीजिनमहावीराणां वन्दनम्
डो. आचार्यरामकिशोरमिश्रः,
संस्कृतविभागाध्यक्षः,
म. मा. डिग्री कोलिज, खेकडा (बागपत) उ.प्र. २०११०१
__ श्रीजिनमहावीरोनत्रिंशकम् तस्मै नमो भगवते महते जिनाय ।
वन्दे जिनं जगति जैनसमाजपूज्यम्, पञ्चज्ञमत्र च मुनि त्रिशलातनूजम् । यं जैनधर्मजनकं मनसा स्मरामि, तस्मै नमो भगवते महते जिनाय ॥१॥ श्वेताम्बर: प्रथम आदिगृहस्थभोगी, पश्चादयं स्वतपसाऽत्र दिगम्बरोऽभूत् । यं जैनदेवमधुना हृदये भजामि, तं वर्धमानमथ साधुवरं नमामि ॥२॥ ज्ञानप्रदश्च जनताशुभचिन्तको यः, स्वामी च कुण्डलपुरस्य निवासिवीरः । जैनप्रवर्तकमुनि यमहं च वन्दे, जीवेऽपि पश्यति स ईश्वरमत्र मन्दे ॥३॥
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