Book Title: Nandanvan Kalpataru 2001 00 SrNo 06
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 41
________________ विश्वविद्यालयीयकुलपतिपदनिमित्तं के नचिद् गुणपक्षधरेण चयनसमितिसदस्येन ममैव नाम प्रस्तावितम् मम प्रतिष्ठायां नाऽदृश्यत कोऽपि प्रत्यवायः कुलाधिपतिरपि ममैव् पक्षे प्रीतोऽश्रूयत प्रन्त्वकस्मादेव समाचारपत्रेषु प्राकाश्यमुपगतं तन्नाम यद् दृष्ट्वैव नगरं स्तब्धं जातम् शिक्षिताश्च जडीभूताः !! तलामाङ्गीकरणे सन्त्यनेकाः किंवदन्त्यः करालटेण्टायास्तां कथां को नु वर्णयेत् ? सोऽधुना कुलपतीभूय प्रवल्गते अहञ्च तत्प्रजाकल्पो नित्यमेव तस्मै नमोवाकं व्याहरामि पुनरपि करतलारूढसर्षपं सर्वान् दर्शयन् उद्भ्रान्तश्चरामि !! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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