Book Title: Mandir
Author(s): Amitsagar
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 10
________________ मन्दिर (१३) संस्कार से संस्कृति एक दिन उसका एक पुराना मित्र उसे रास्ते में मिला और उससे कहने लगा कि भाई. तुम्हारा मार्ग समुद्री मार्ग है, बहुत खतरनाक मार्ग है और नाव भी अब बहुत पुरानी हो गई है । न जाने कब समुद्र में ऐसी आँधी-तूफान आ जाये या कोई जलीय जीव-जन्तु नाव को पलट दे । अतः तुम अब तैरना सीख लो | गाँव में एक कुशल तैराक आया हुआ है, तीन दिन में ही तैरना सिखा देता है। अपने मित्र की बात सुनकर सौदागर बोला कि तैरना सीखने के लिये तीन दिन चाहिये । हमारे पास तो तीन मिनट का भी समय नहीं है। हमारी नाव लदी खड़ी है जाने के लिये । तीन दिन में तो हम लाखों रुपयों का व्यापार इधर से उधर कर देंगे 1 क्या जरूरत तैरना सीखने की । क्यों फालतु समय पानी में तैरना सीखने में लगाया जाये। आज की जिन्दगी में तो व्यक्ति को मरने तक का समय नहीं है। दूसरा भी कोई मरे तो रविवार का दिन ठीक रहता है, रविवार छुट्टी का दिन है फिर भी उस दिन उसकी अर्थी में पैदल चलकर श्मशान घाट नहीं जायेगा। मात्र खानापूर्ति के लिये गाड़ी में बैठकर सीधा श्मशान घाट पहुँच जायेगा | यह हमारी समय की व्यस्तता का प्रमाण-पत्र है। मित्र ने सौदागर को बहुत समझाया, लेकिन सौदागर ने मित्र से आग्रह किया कि हमारे पास तीन दिन का समय नहीं है पानी में तैरना सीखने के लिये । हो, समुद्र में खतरे से निपटने के लिये कोई आसान तरीका हो तो बताओ । तय उसका मित्र बोला कि तब तो तुम एक काम करो- दो खाली पीपे (कमे) बाजार से खरीद लो और उन्हें झलवा (पैक) कर जहाँ तुम नाव में बैठते हो उसके नीचे रख लेना जब समुद्र में ऐसा कोई खतरा हो, नाव डूबने लगे तो दोनों पीपों को लेकर कूद जाना, जिससे तुम डूबने से बच जाओगे । सौदागर ने सोचा- यह तो बहुत आसान तरीका है पानी में डूबने से बचने का । उसने अपने मित्र को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। ____ सौदागर ने बाजार से दो खाली पीपे खरीदे और उन्हें सील (पैक) बन्द करवा कर नाव में अपनी सीट के नीचे रख लिया और चल पड़ा व्यापार करने विदेश यात्रा पर । इस दार व्यापार में यहुत लाभ हुआ उस सौदागर को । अतः सौदागर ने सोचा कि इस देश में स्वर्ण सस्ता है और हमारे देश में महंगा। क्यों न यहाँ से खरीदकर उन दोनों खाली पीपों में भर लूं। सुरक्षित के सुरक्षित अपने पास ही पीपे रखे रहेंगे। जरूरत पड़ी तो उन्हें पकड़कर समुद्र में कूद भी सकते हैं | ऐसा सोचकर उसने उन दोनों पीपों में स्वर्ण के सिक्के भर लिये और नाच में अपनी सीट के नीचे रख लिये। क्या हुआ? समुद्र के बीच पहुँचते ही समुद्र में एंसा आँधी-तूफान आया कि कभी नहीं आया था । नाच पानी में घूमने लगी, दिशाहीन हो गई और समुद्र का पानी नाव में भरने लगा। नाविकों ने बहुत कोशिश की नाब को बचाने की लेकिन नाव जव डुबने लगी तो सभी नाबिक

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