Book Title: Mandir
Author(s): Amitsagar
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 27
________________ मन्दिर (३०) रोगनाशक है शंखध्वनि के लोगों को भी मंदिर जी का स्मरण हो जाता है । घंटा बजाते समय हमारे भाव होने चाहिये कि इस घंटे की मंगल ध्वनि तरंगें वहाँ पहुँच जायें, जहाँ हम नहीं पहुंच सकते। ऐसे नन्दीश्वर द्वीप, विदेह क्षेत्र, कैलाश पर्वत आदि ऊर्ध्व-मध्य-अधोलोक में जितने कृत्रिम-अकृत्रिम जिनचैत्यालय विद्यमान हैं, जिन तीर्थक्षेत्रों की आपने साक्षात् जाकर वन्दना की हो, उनका ध्यान करते हुए, उनको यह मेरी बन्दना नमस्कार पर चंद को हल्के हा से तीन बार ही बजाना चाहिये। मंदिर जी में लगायंटा हमारी विशुद्धि भावनाओं को प्रसारित करने के लिये एक "वैज्ञानिक" यंत्र है। भौतिक युग की दूर संचार प्रणाली, ध्वनि प्रसारक यंत्रों के माध्यम से हमारी भाषाभावनायें एक स्थान से दूसरे स्थान पर सेकेण्ड़ों में पहुँच जाती हैं | जैसे - पोस्ट ऑफिस में तार करने के लिये एक छोटी-सी डिब्बी खटखटाई जाती है | उसमें कोई शब्द नहीं बोले जाते । मात्र डिब्बी खटखटाने के ढंग से ही समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाता है। ठीक उसी प्रकार से ही घंटे का कार्य है | इसकी मंगल ध्वनि हमारा मानसिक प्रदूषण दूर करती है। आपने अनुभव किया होगा कि जब बच्चा रोता है तब उसे झुनझुने आदि की मधुर ध्वनि सुनाकर घुप किया जाता है। ___ घंटे की ध्वनि से पर्यावरण भी परिशुद्ध होता है क्योंकि पंचकल्याण के समय घंटे को भी मंत्रों से संस्कारित करके लगाते हैं। आपने देखा होगा, लाल मन्दिर, दिल्ली में एक बहुत बड़ा पुराना घंटा मन्दिर के चौक में एक शो केस में लगा है। उसमें कई प्रकार के मंत्र भी उत्कीर्ण है। इसकी ध्वनि से मंत्रों का प्रभाव उद्घाटित होता था । अभी उसका प्रयोग बन्द है । जहाँ तक उसकी ध्वनी का प्रभाव होता था, वहाँ तक शारीरिक-मानसिक-दैविक एवं भौतिक प्रकोप भी हट जाते थे। रोगनाशक है शखध्वनि । वैज्ञानिक अनुसंधानों से अब यह सिद्ध हो गया है कि शंख और घंटे की ध्वनि से रोग के कीटाणुओं का नाश होता है। प्रति सेकेण्ड २७ घनफुट शक्ति को जोर से बजाये गये शंख की ध्वनि २०० फुट की दूरी के बैक्टीरिया को नष्ट कर डालती है। शंख ध्वनि से हैजा, मलेरिया आदि रोगों के कीटाणु भी नष्ट होते हैं । मिरगी, मूर्छा, कंठ माला और कुष्ट रोगियों के अंदर शंख ध्वनि से रोगनाशक प्रतिक्रिया होती है। शिकागो के डॉ. बाईनेन का दावा है कि अब तक वे तेरह सौ बहरे रोगिर्यो को शंख ध्वनि से ठीक कर चुके हैं | अफ्रीका में जहरीले सर्प के काटने पर घंटा बजाकर इलाज किया जाता है। मास्को की एक अदालत ने तीन वैज्ञानिकों की समिति

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