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मन्दिर
(१८)
ब्रह्म बेला का महत्त्व
विश्व की प्रायः सभी धर्म संस्कृतियाँ प्रातःकाल की ब्रह्मबेला को महत्त्व देती है । परन्तु हमें यह नहीं मालूम कि ब्रह्मबेला कहते किसे हैं, इसका क्या महत्त्व है ? सूर्योदय के चौबीस मिनट पहले से सूर्योदय के चौबीस मिनट बाद तक का समय ब्रह्मबेला या ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है। इसे ही आत्म जागरण का समय कहा है। क्योंकि तीर्थकरों की वाणी इसी मुहूर्त में खिरती है। जिस प्रकार सरीवर में कमल दल इसी समय खिलते हैं, उसी प्रकार ब्रह्म मुहूर्त में जागने से हमारा हृदय कमल भी खिल जाता है, जिससे हमारे जीवन में निरोगता का संचार होता है एवं इस समय मन में जो भी शुभ संकल्प लिये जाते हैं, जाते हैं । क्ति के अन्दर आत्मविश्वास एवं कार्य करने की दृढ़ क्षमता उद्भूत होती है। प्रातः काल उठकर क्या विचार करना चाहिये इस विषय में पं० आशाधर जी ने सागारधर्मामृत ग्रन्थ में लिखा है कि
ब्रह्मे मुहूर्ते उत्थाय पंच नमस्कार कृते सति । कोsel को मम! किं निज धर्मः इति विचिन्त्येत् ।।
ब्रह्म बेला का महत्त्व
अर्थात् ब्रह्म मुहूर्त में निद्रा छोड़कर पंच नमस्कार (णमोकार) मन्त्र कम से कम नव बार पढ़ना चाहिये | यदि आपके पास समय हैं तो पूरे एक सौ आठ बार जपना चाहिये। विश्व में णमोकार मंत्र ही सार्वभौमिक, सर्वकालिक मंत्र है जिसे हर परिस्थिति में मौनपूर्वक जपा जा सकता है। कहा भी है
अपवित्रः पवित्रो वा सुस्थिती दुस्थितोऽपि वा । ध्यायेत्पंच नमस्कारं, सर्व पापै प्रमुच्यते । ।
अतः आप अपने शरीर वस्त्रों आदि की शुद्धि का विचार न करते हुए पंच नमस्कार मंत्र का ध्यान जाप कर सकते हैं। इसमें कोई दोष पाप नहीं है। इसके बाद स्वयं का विचार करना चाहिये कि मैं कौन हूँ? मनुष्य हूँ, जैन हूँ, आत्मा हूँ । इस संसार में मेरा कौन है ? इस संसार में सब स्वार्थी जीव हैं, स्वार्थ पूरा होने पर कोई नहीं पूछता। अतः धर्म के समान मेरा अन्य निरपेक्ष, निस्वार्थ बन्धु हितकारी नहीं है। मेरा क्या धर्म है, कर्त्तव्य है? में एक साधारण आवक हूँ, गृहस्थ हूँ । इसलिये मेरा प्रमुख धर्म तो देव पूजा, गुरु-उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान ये षड् आवश्यक कर्म है। पुनः मन में विश्वकल्याण की भावना करें कि आज का दिन विश्व के समस्त प्राणियों को मंगलमय हो । संसार के समस्त प्राणी सुख शान्ति प्राप्त करें। मेरा किसी भी जीव के प्रति बैर भाव नहीं हो। राजा प्रजा एवं राष्ट्र का अमंगल दूर हो। सर्वत्र शांति हो । सभी के दुख दारिद्र दूर हों । इस प्रकार शुभ विचार प्रतिदिन करना चाहिये | शुभ विचारों