Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमंदिर स्तोत्र सायं
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जो जोगीन्द्र करहि तप खेद, तऊं न जानहिं तुम गुन भेद । भगतिभाव मुझ मन अभिलाख, ज्यों पंखी बोलहिं निज भाख ॥ ६ ऋद्धि - ॐ ह्रीं प्र णमो पुत्तइत्थिकराण कोठ्ठबुद्धीणं । मंत्र — ॐ नमो भगवति । श्रम्बिके ! अम्बालिके ! यक्षीदेवि यू यॉं ब्ले हल्की म्लं हसौं : र : रां रां दृष्ट्ि प्रत्यक्षं मम देवदत्तस्य वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
( भैरवपद्मावतीकल्पे श्र० ६ श्लो० २ )
विधि - इस मंत्र से २१ वार दातोन मंत्रित कर उसी से दांत साफ करे पश्चात् २१ वार श्रद्धापूर्वक मंत्र का जाप जपने से इच्छित मनुष्य वश में होता है ।
ॐ ह्रीं श्रव्यक्तगुणाय श्री जिताय नमः ।
Oh Lord whence can it be within my scop to describe Thy merits, when even the masterly saints fail to do so? Therefore, this attempt of mine is a thoughtless act; or why, even birds do speak in their own tongue ( 6 )
अभीप्सितजनाकर्षक
प्रास्तामचिन्त्यमहिमा जिन ! संस्तवस्ते,
नामापि पाति भवतो भवतो जगन्ति । तीव्रातपोपहतपान्थजनान् निदाघे,
प्रीणाति पद्मसरसः सरसोऽनिलोऽपि ॥७॥
१- भाषा । २ - कोष्ठबुद्धिधारी जिनों को नमस्कार हो ।