Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याण मन्दिरस्वोत्र सार्य
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प्रस्त्रशस्त्रविघातक
देवेन्द्रवन्ध ! विदिताखिलवस्तु-सार !
संसारतारक ! विभो ! भुवनाधिनाथ ! । प्रायस्व देव ! करुणाहृद ! मां पुनीहि,
सीदन्नमय भयदन्यसनाम्बुराशेः ।।४।।
अखिल वस्तु के जान लिये है सर्वोत्तम जिसने सब सार । हे जगतारक ! हे जगनायक ! दुखियों के हे करुणागार ।। वन्दनीय हे दयासरोवर ! दोन दुखी का हरना त्रास । महा-भयङ्कर भवभाग र से, रक्षा कर प्रश्न दो सम्बवास ।।
श्लोकार्थ- हे देवेन्द्रवन्ध सर्वज्ञ, जगततारक, त्रिलोकी नाथ, दयासागर, जिनेन्द्र देव ! आज मुझ दुखिया की रक्षा करो तथा भतिभयानक दुःख-सागर में बचाप्रो । सुरगन वन्दित दयानिधान, जगतारन जगपति जगजान । दुखसागर तें मोहि निकास, निरभ थान देहु सुख सस ।
४१ ऋद्धि---ॐ ह्री अहं णमो वप्पलाहकारयाण प्रमइसवोण ।
१-- ममततायी जिनों को नमस्कार हो ।