Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 160
________________ १६] श्रील्याणमन्दिरस्तोत्र मा मोऽस्याभवत्यनिभा भवातु:08 प्रेसजः प्रति भवन्तमयीरितो या ध्वस्तीर्थ केशाविकृताकृति मर्यमुण्ड I & X yamayDS . श्लोक ३३ ऋद्धि-- हो आह रणमो जवित्ताय ( ? ) खिताए । मन्त्र-ॐ ह्रीं श्री वृषमादितीर्थङ्करेभ्यो नमः स्वाहा । अथवा ऋ असं प्रमु पसु चंपुशीने वावि भधशाकु अममुनने पाम । गुण-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, उत्कापात एवं टिड दिन को रोककर संभावित दुर्भिक्ष से जनता की रक्षा होती है । फल – सिरपुर (थीपुर) नगर के पुखराज कृषक ने इस स्तोत्र के ३३ वें काध्यसहित उक्त मन्त्र को साधना द्वारा उसके प्रभाव से सम्भावित दुर्भिक्ष को रोका था।

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