Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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१६२ ] श्री कल्याणमन्दिरको साथ
ग्रस्तस्त्वमभिरयमेव परं दुरात्मा ॥३१॥
छायापि तैस्तव न नाथ! हा हताशी
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प्रारसम्भृतनभांसि रजांसि सेवा
श्लोक ३१
ऋद्धि-ॐ ह्रीं अर्ह रामोजी ( वी ? ) या ( भा ? ) ( १ ) ( ? ) ताए ।
मन्त्र — ॐ नमो भगवति चक्रधारिणि भ्रमय भ्रामय, मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय स्वाहा ।
गुण – फुछे पये शुभाशुभ प्रश्न का फल ज्ञात होता है।
फल
- मित्रा नदी के तट पर उथिमी नगर के कनककात ब्राह्मण ने इस मन्त्र का फल प्राप्त किया था।