Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 166
________________ १७० } भक्त्या न ते अति महेश। दयां विधाय श्री कल्याणमन्दिर स्तोत्र सार्थ दुखाङ्कुरीयननन्परतां विधेति ॥ ३ ॥ क्रु टे ॐ म 쏠 गणि फ्र CID रुत्वा कु (अहे ण) ६ 进 भ्र त्वं नाथ। दुःखिजनवत्सल ! हे शरण्य! 77 *$ dj. श्लोक ३० ऋद्धि-ॐ ह्रीं नई मो सता (चा?) वरिएगु ( ? ) विजं । मन्त्र - नमो भगवते ( अमुकस्य ) सर्वश्वरशान्ति कुरु कुरु स्वाहा' गुण-- सर्वज्वर तथा सति दूर होता है। भूर्जपत्र पर मंत्र लिख कर रोगी के कएउ में धूप देकर बांध देवे । फल – पद्मखण्ड नाम की नगरी में इन्द्रप्रभ ने इस स्तोत्र के ३६ लोकसहित इस मंत्र को सिद्ध करके इसके प्रभाव के देशों मनुष्यों को पीश दूर को थी । &

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