Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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तन्मे त्वदेकारणस्य
स्वाहा ।
पासए ।
यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित
स्वामी त्यमेव भुवनेश्च भवान्तरेऽपि ॥५२॥
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यद्याकंन नाथ।
श्लोक ४२
ऋद्धि-ॐ ह्रीं यह णमो इत्थि बन्ध ( रस १ ) (रोम)
भवदप्रिमरोहाणां
मन्त्र -- ॐ नमो भगवते श्रीप्रसूत रोगादिशान्ति कुरु कुरु
गुण स्त्रियों का प्रदररोग दूर होता है, बहता हुआ परि रुक जाता है तथा गर्भ का स्तम्भन होता है।
फल -- ---वक्त मंत्र की साधना द्वारा धन श्रेष्ठी को पुत्री मदनसेना ने अपने प्रदरादि रोगों को दूर कर नवजीवन प्राप्त किया था ।