Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 169
________________ f. wake i calle तन्मे त्वदेकारणस्य स्वाहा । पासए । यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित स्वामी त्यमेव भुवनेश्च भवान्तरेऽपि ॥५२॥ दि रंग मित्र 6c च २ --- 2 [ १५३ यद्याकंन नाथ। श्लोक ४२ ऋद्धि-ॐ ह्रीं यह णमो इत्थि बन्ध ( रस १ ) (रोम) भवदप्रिमरोहाणां मन्त्र -- ॐ नमो भगवते श्रीप्रसूत रोगादिशान्ति कुरु कुरु गुण स्त्रियों का प्रदररोग दूर होता है, बहता हुआ परि रुक जाता है तथा गर्भ का स्तम्भन होता है। फल -- ---वक्त मंत्र की साधना द्वारा धन श्रेष्ठी को पुत्री मदनसेना ने अपने प्रदरादि रोगों को दूर कर नवजीवन प्राप्त किया था ।

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