Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 172
________________ कल्याणमन्दिर मन्त्रसाधन की विधि श्लोक १,२ - लाल रेशमी वस्त्र पनि कर, लाल रेशम की माला लेकर, पर्वत के ऊपर पूर्व की ओर मुख करके, लाल आसन पर बैठ कर ६० दिन तक प्रतिदिन १००८ बार श्रद्धासहित ऋद्धि मन्त्र का जाप जपे तथा निर्धूम प्रति में कपूर, कस्तूरी, चन्दन और शिलारस मिश्रित घूर क्षेपण करे ।। १,२ ॥ में श्लोक ३ - लाल मुंगा की माला लेकर एकान्त पश्चिम की ओर मुख करके, सफेद आसन पर बैठकर श्रद्धापूर्वक २७ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मन्त्र का जाप अ तथा निर्धम श्रग्नि में गूगल, चन्दन, छाड़ - छबीला और घृत मिश्रित धूप क्षेपण करे यंत्र पाम रखे ||३|| श्लोक ४ - व मलगटा की माला लेकर, एकान्तस्थान में पूर्व की ओर मुख करके पीले रंग के आसन पर बैठ कर स्थिरचित्त से रविवार के दिन प्रातःकाल १००० बार ऋद्धिमन्त्र का स्थिचित्त होकर जाप जपे और निर्धूम अग्नि में गूगल, चन्दन, कपूर श्रीर घृत ਸਿਧਿਰ धूप सेवे 1 उस विधि में ९ वर्ष तक प्रतिवर्ष रविवार व्रत करे तथा प्रतिवर्ष लगातार ४० रविवार के दिनों में उक्त ऋद्धि मन्त्र की जाप जपे । एकाशन, भूमिशयन तथा ब्रह्मचमं से रहे ।' ४ ।। श्लोक ५ – स्फटिकमणि की माला लेकर, पूर्व की मोर मुख करके, एकान्त स्थान में सफेद आसन पर पद्मासन से बैठ कर श्रद्धापूर्वक ४९ दिन तक प्रतिदिन १००० बार ऋद्धि

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