Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 173
________________ ।१३३ यंत्र मंत्र ऋद्धि पूजन प्रादिहित [१७७ मंत्र को जो तथा निधूम अग्नि में मूगल, कुंदरू, कपूर, चन्दन और इलायचो मिश्रित धप क्षेपण करे ।।५।। स्लोक ६-पबीज की माला लेकर, दक्षिण की पोर मुख करके, निर्जन स्थान में हरे रंग के पासन पर बैठ कर श्रद्धापूर्वक ४० दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निधूम अग्नि में गरी, गूगल, लवंग और चन्दन मिश्रित ध्प क्षेपण करे :१६॥ श्लोक ७-लालमूगा की माला लेकर, नैऋत्य को मोर मुम्ब करके, गवि के समय एकान्त स्थान में जोगिया रंग के मासन पर बैठ कर, एकाग्रचित से २७ दिन तक प्रतिदिन १२०. वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा घूमरहिन अग्नि में गूगल, लोभान चन्दन और प्रियंगुलता मिश्रित धूप खवे ।।७।। श्लोक --चांदी की मान्ना लेकर. ईशान की अोर मुम्क करके, कोलाहलरहित स्थान में डाभ के प्रायन पर बैठ कर स्थिरचित्त होकर १४ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे और निधूम अग्नि में गूगल, कुंदरू और 'सफेद चन्दन मिश्रित धूप क्षेपण करे ॥८॥ लोक ९-रुद्राक्ष की माला लेकर प्राग्नेय की ओर मुख करके एकान्त निर्जन स्थान में काले ऊन की प्रासन पर पद्मासन से बैठ कर पूर्ण विश्वास सहित १४ दिद तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा शिखारहित निर्धम माग्नि में गुगल, राहर और कुंदरू मिश्रित धूप क्षेपण करे ॥९॥ लोक १० सोने की माला लेकर, वायव्य की ओर भूख करके. पीले रंग के आसन पर बैठ कर १८ दिन तक प्रतिदिन श्रद्धासहित १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा गूगल और चन्दन मिश्रित धूप क्षेपण करे ।।१०।। --

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