Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 176
________________ १८० श्री कल्याणमन्दिर स्तोत्र सार्थ करके, एकान्त स्थान में डाभ के प्रासन पर बैठकर श्रद्धासहित २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे तथा गुगल, छाड़ रबीला और घृत मिश्रित ध प क्षेपण करें। इस विधि में भूमिशयन तथा एकाशन अवश्य करे ।।२२।। श्लोक २३- लाल रेशम की माला लेकर.पूर्व की ओर मुख करके, एकान्तस्थान में लाल रंग के प्रासन पर बैट कर विश्वासपूर्वक २७ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मत्र का जाप जप तथा मिधम अग्नि में चन्दन. कस्तूरी और सिलारस मिश्रित ध प क्षेपण करे । सोना या चांदी के पत्र पर यंत्र खुदवाकर पास रखे ॥२३॥ श्लोक २- लाल की नाला लंगर को ओर मुख करके, लाल रंग के आसन पर बैठ कर श्रद्धापूर्वक २७ दिन तक प्रतिदिन २००० वार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे तथा नि म अग्नि में कपूर, कस्तुरी, शिलारस और सफद चन्दन मिश्रित धूप क्षेपण करे। मसाधना के अन्तिम दिन हवन करने के उपरान्त धावकों को २५ कुवारी कन्याओं को मोहन भाग तथा हलुवा का भोजन करावे । यंत्र को भुजा में बांध कर मत्र की साधना एकान्त स्थान में करे ॥२४॥ __ श्लोक २५ स्फटिकमणि की माला लेकर, पश्चिम की ओर मुख करके, सफेद रंग के प्रासन पर बैठ कर स्थिर चित्त से २१ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे समा मिर्धम अग्नि में कपूर, चन्दन, इलायची और कस्तूरी मिश्रित ध प क्षेपण करे। भोजपत्र पर अष्टगंध से यत्र लिखकर गले में बांधे और होली तथा दिवाली की रात में मंत्र को जगावे ॥२५ ।

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