Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 177
________________ यंत्र मंत्र ऋद्धि पूजन आदि सहिन [१८१ श्लोक २६-लाल मूगा की माला लेकर, दक्षिण की प्रोर मुख करके, लाल रंग के आसन पर बैठ कर २७ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे तथा निर्धूम अग्नि में अगर, हाउवेर और छाड़-छबीला मिश्रित धूप क्षेपण करे। श्लोक २७-काले सूत की माला लंकर, पूर्व की ओर मुख करके कालं ऊन की प्रासन पर बैठकर श्रद्धापूर्वक २१ दिन तक प्रति-दिन १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में गूगल, गरी, संघा नमक तथा वृत मिश्रित धर क्षेपण करे। प्रान्तम दिन भोजपत्र पर यंत्र लिख कर उसे पंचामृत में मिला कर नदी में प्रवाहित करे ॥२७॥ श्लोक २८-पीले सूत की माला लेकर, दक्षिण की ओर मुख करके, पीले रंग के पासन पर बैठ कर श्रद्धासहित २१ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अपिन में चदन लवंग, कपूर, इलायचो तथा वृत मिश्रित धूप क्षपण करे ॥२८॥ श्लोक २९- विद्रम (मूगा, की लाल माला लेकर, पूर्व की योर मुख करके, लालरंग के पासन पर बैठ कर एकाग्रमन से २१ दिन तक प्रतिदिन ऋद्धि मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में कस्तूरी शिलारस, अगर और सफेद चन्दन मिधित धूप क्षेपण करे ।।२९।। दलोक २-रुद्राक्ष की माला लेकर, पूर्व की ओर मुख करके, काल रंग के प्रामन पर बैठ कर ६० दित तक प्रतिदिन ७०० बार ऋद्धि और मत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में दशाङ्ग अथवा गूगल, लोभान एव घृत मिश्रित धूप क्षेपण करे ॥३०॥ लोक ३१--सूत को सफेद माला लकर, पूर्व की ओर मुख

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