Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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जातोऽस्मि तेन जनबान्धव । दुःखपात्र,
यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित
यस्मात्किया प्रतिफलन्तिन भावशून्या दे
बीडा हृदय
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आकर्षितोऽपि महितोऽपि निरीक्षतोऽपि
श्लोक ३८ ऋद्धि-ॐ ह्रीं महं रामो हि (ट्टि ?) मिट्टि (ट्टि ? )
मरकं ( भक्स्वं ? ) कराए |
मन्त्र-ॐ जानवा ( जनेवा ) न्हारणापहारिण्यं भगवत्ये खारी देव्यै नमः स्वाहा |
गुण--महरुवा, जनेवा, उदर तथा हृदय की पीड़ा नष्ट होती है । होली की राख को उक्त मंत्र से २१ बार मंत्रित कर रोग दूर होने तक प्रतिदिन उससे झाड़े
फल --- काशीपुर नगर के शिवम ब्राह्मण ने मुनिप्रदत्त इस मंत्र की साधना द्वारा चक रोगों से पीड़ित मनुष्यों की पीड़ा दूर की थी।