Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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विध विधुरयन्ति हि मामन,
श्री कल्याणमन्दिर स्तोत्र सार्थ
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नूनं न मोहतिमिरावृन - लोचनेन
श्लोक ३७ ऋद्धि - ॐ ह्रीं भई रामो बो (खो ? ) भि हों खाभिए । मन्त्र - नमो ( ) भगवति ( ते ? ) सवराजाप्रजावश्य ( श ? ) कारिणि ( से ? ) नमः स्वाहा ।
गुण-यंत्र को पास में रख कर उक्त मंत्र से ७ संकरों को मंत्रि कर क्षीरवृक्ष के नीचे उन्हें ऊपर उछाल कर घर केले पश्चात् नगर के चौराहे पर डालने से राजा से मिलाप होता है, श्रेष्ठ पुरुर्षो से सन्मान
प्राप्त होता है ।
फल – जालन्धर नगर के मानोमल सज्जन ने इस मंत्र का भाराषन कर पुरुषों से सन्मान पाया था और राजा से मिलाप हुधा वा ।