Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 162
________________ १६६ ] Popragya Bagh ह आकर्णित नुं श्री मन्दिरस्तोत्र सार्थ किंवा विपदिषधी सविधं समेति ॥४५॥७ जा thecuniaste & se takk श्लोक ३५ ऋद्धि की बहु रामो मिज्जतिजणासए । अस्मिन्त पाद्‌भवर्णादि‌निधौ मुनीशः मन्त्र -- ॐ नमो भगवति ( ते १ ) मिगियागदे अपस्मारे (मृग्युन्मादापस्मारादि ? ) रोगे ( ग ? ) शांतिं कुरु कुरु स्वाहा । गुण-- मृगी, जम्माद, अपस्मार और पागलपन यादि साध्य रोग शान्त होते हैं। वरिक ने इस स्तोत्र के ३५ फल -- पाटलिपुत्र जगर के मिंग को साधना से बनेकों के मृगीरोग को दूर किया था।

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