Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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लेनेह जन्मनि मुनीश ! पराभवानी,
यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित
जाती निकेतनमह मथितादायानाम ३८ ॥
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नमः स्वाहा ।
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जन्मान्तरेऽपि तव पादयुगं न देख !,
श्लोक ३६
ऋद्धि-ॐ ह्रीं मई रामो मा (प्रां ?) हुं फट् विचक्राए । महानागकुल विपशांतिकारिणि (एथे?)
मन्त्र --- ह्रीं
गुण- इस महामन्त्र के प्रभाव से काला नाग पकड़े यो काटे नहीं और इसी मन्त्र से कंकड़ों को मंत्रित कर सर्प के ऊपर फेंके तो वह फीलित हो जाता है तथा उसका विष मसर नहीं करता है ।
फल – मिथिलापुरी नगरी के मनवी नाम के पीबी ने दिगम्बर मुनि द्वारा प्रदत्त इस शो के ३६ वें क्लोसहित उक्त मंत्र के भाराभन से बड़े बड़े विषधरों को वश में किया था ।