Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 156
________________ १९० } युक्तं हि पार्थिवनि सतस्तवैच श्री कल्याणमन्दिरस्ती सार्थ चित्रं वियदति कर्मविपाकशून्यः भ ब Phe 300000 ॐ ह्रीं को स्व हा DRRR Tekrardan त्यं नाथ! जन्मजलधे बिपराड़ मुखोऽथि श्लोक २६ ऋद्धि - ॐ ह्रीं श्रीं समो देवापि (पि ? ) याद | मन्त्र - हो क्रीं ह्रीं ह्र फट स्वाहा | 2 गुण---- सर्वजन प्रसन्न होते हैं। जिसको प्रसन्न करना है उसे उक्त मन्त्र से मन्त्रित सुपारी, इनायची धथवा लॉंग खिलावे । फल---हिपुरी के लखीवर नामक ग्वाल ने इस स्तोत्र के २६ वें काव्यसहित उक्त मन्त्र की साधना द्वारा अनेक पुरुषों को प्रसन्न किया था ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180