Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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युक्तं हि पार्थिवनि सतस्तवैच
श्री कल्याणमन्दिरस्ती सार्थ
चित्रं वियदति कर्मविपाकशून्यः
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ॐ ह्रीं को
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त्यं नाथ! जन्मजलधे बिपराड़ मुखोऽथि
श्लोक २६
ऋद्धि - ॐ ह्रीं श्रीं समो देवापि (पि ? ) याद |
मन्त्र - हो क्रीं ह्रीं ह्र फट स्वाहा |
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गुण---- सर्वजन प्रसन्न होते हैं। जिसको प्रसन्न करना है उसे उक्त मन्त्र से मन्त्रित सुपारी, इनायची धथवा लॉंग खिलावे ।
फल---हिपुरी के लखीवर नामक ग्वाल ने इस स्तोत्र के २६ वें काव्यसहित उक्त मन्त्र की साधना द्वारा अनेक पुरुषों को प्रसन्न किया था ।