Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 154
________________ १५८ ] श्री कल्याणमन्दिरस्तोत्र सार्थ मालत्रयेण भगवन्तभितो विभासि ॥२७॥ व माणिक्यांहदरजतपत्र - निर्मितन स्बेन प्रप्रितजगत्मय चिपिडतेन ण न्द्र प्रभा मा ३ . ... । रा Nirmanand Inbetise श्लोक २७ ऋद्धि-- ही यह एमो खज-दुदृणासए । मन्त्र--सी श्री धरोपमावतीवलपराक्रमाय नमः { स्वाहा ) गुण----दुश्मन पराजय को प्राप्त होता है पौर वर-विरोष छोड़ कर शत्रु शाम्त होता है। फल - हर्षवती नगरी के अधिपति मेघमाली ने इस स्तोत्र के २७ में फास्यसहित उक्त मन्त्र के प्रभाव से शत्र राजामों को परास्त कर उन्हें मपमा मित्र बनाया पा!

Loading...

Page Navigation
1 ... 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180