Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमन्दिरस्तोत्र सार्थ
मालत्रयेण भगवन्तभितो विभासि ॥२७॥
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माणिक्यांहदरजतपत्र - निर्मितन
स्बेन प्रप्रितजगत्मय चिपिडतेन
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श्लोक २७ ऋद्धि-- ही यह एमो खज-दुदृणासए ।
मन्त्र--सी श्री धरोपमावतीवलपराक्रमाय नमः { स्वाहा )
गुण----दुश्मन पराजय को प्राप्त होता है पौर वर-विरोष छोड़ कर शत्रु शाम्त होता है।
फल - हर्षवती नगरी के अधिपति मेघमाली ने इस स्तोत्र के २७ में फास्यसहित उक्त मन्त्र के प्रभाव से शत्र राजामों को परास्त कर उन्हें मपमा मित्र बनाया पा!