Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 155
________________ यन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन मारि महिन त्वत्सङ्गमे सुमनसो न समन्त एव ॥३॥ पादौ यन्ति भवतो यदि वापरत दिव्यस्जो जिन! नमन्त्रिदशाधिपाना - श्लोक २० ऋद्धि- ही पाई एभो तव (दव ) वजणार | मन्त्र--*ही श्री डी को ( कौं ? ) वपद स्वाहा । गुण- संसार में द्वितीया के चान्द्रमा की तरह निरन्तर यश पौर कोति बढ़ती है और जगह जगह विजय प्राप्त होती है ! फल----विशालापुरी नगरी में विश्वभूषण श्राह्मण में इस स्तोत्र के २८३ काथ्यसहित इस मंत्र के मारापन से राज्य में यश प्रात किया था।

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