Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
View full book text
________________
१४२ ।
श्री कल्याणमंदिर स्तोत्र सार्थ
पीतं न किं तदपि सुर्धरवान ॥१९॥
स
सा
विध्यापिता हुतभुजः पयसाथ येन
म.
यास्मनहरप्रभृतयोऽपि हताभावाः,
-
TOLeave Any
USE
लोक ११
ऋद्धि-ॐ ह्रीं प्रहं णमो वारिबाल (पालणा) बुद्धीए। मत्र-ॐ सरस्वत्यै गुणवत्यै नमः स्वाहा ॥
गुण-यंत्र पास रखने से साधक पानी में नहीं बता है। जनशासन की रक्षिका देवी पाराधक की प्रथाह जल से ! रक्षा करती है तथा कुदेवादिकों का भय नष्ट होता है।
फल—मगधदेश के कंचनपुर नगर के प्रतापी राजकुमार ने शत्रुमों द्वारा समुद्र में गिराये जाने पर ग्यारहवे काव्यसहित उक्त मंत्र की माराधना से अपनी रक्षा की थी।