Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमन्दिरस्तोत्र सार्थ
किवा विधमुपयानि र जोबनाम पर
अभ्युन दिन सौ मस्तीहापि
धर्मायदेशान्ये मरिधानुभाग -
जय
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प्रचोक १६ ऋद्धि- मई शमो अविरलगदे (!) णासए ।
मन्त्र--ॐ (नमो भगवते ) ही श्री क्लीं क्षां भी नमः (स्वाहा )।
गुणा--नेपपीड़ा दूर होता है। जब मोख पाई हुई हो तब भोगपत्र पर रसोंद ने लिख कर गले में बौषमा पाहिये।
फल--देश की चम्पापुर मगरी के विजयमा रामठो ने विदेश में कुसामुमो के मात्रबल से नेत्रज्योतिरहित साथियों को इस महामन्त्र की साधना से पुनः ज्योति प्रदान को थी।