Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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सुनीश !
याचसुमनसां यदि वा
मन्त्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित
यदति ननम एव हि 201
अक
ह्या
श्लोक
ऋद्धि--ॐ ह्रीं नई (ग) प ( हा १ ) सए ।
भूत्वं रा है पारस
मः
[२५१
चित्रं विभो। कथमवाड सुखवृन्तमेष
२०
मो गिल ( गहिल १) विज्ञ
मन्त्र - ( भगबस्थे म ( वये १ ) नमः स्वाहा ।
गुण-- विधिपूर्वक मन्त्राराधन से उच्चाटन धर्म जिसे साधक महीं चाहता उसका मिराकरण होता है ।
फ --कुरुजाङ्गल देश को हस्तिनागपुर नगर निवासिनी राजन कुमारी मनङ्गलीला मे २० वे इसोकसहित मन्त्र की पासमा से कामान्ध पुरुष का उच्चाटन कर अपने सतीत्व की रक्षा की भी