Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याण मदिर स्तोत्र सार्थ
नीलमाणि विषमारिन किं हिमानी १।१३।।
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पनोयन्यमुत्र यदि दा शिशिपियोले
कोधस्त्वया यदि विभेर । प्रथम मिस्तो
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श्लोक १३ ऋद्धि-ॐ ह्रीं अहं णमो इक्खवज्जगाए । मंत्र-ॐ नमो भगवत्यं) चामुण्डाय नमः स्वाहा ।
गुण-सात दिन तक प्रतिदिन भारी भर पानी उक्त मंत्र से १०८ बार मंत्रित कर खारे जल के कुएँ बावड़ी मादि में डालने से पानी अमृततुल्य हो जाता है।
फल-श्री जम्बूस्वामी के समय श्रावस्ती नगरी के सोमशर्मा ब्राह्मण ने अपने बगीचे की खारी बावड़ी को उक्त मंत्र द्वारा अमृत के समान मधुर जल वाली करके जैनधर्म की 'अपूर्व प्रभावना की थी।