Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमन्दिरस्तोत्र सार्थ
चामीकरत्वमचिरादिव धातुभेदाः॥१५॥
के.
तीज्ञानसादपलभावशास्त्र
ध्यानान्जिनेश । भवतो भविन मणेन ,
श्लोक १५ शुद्धि- लों मई एमो तक्खरचय (व ? ) खियाए ।
मन्त्र ॐ नमो गंधारि (रये?) नमः श्री क्ली में ब्लूई स्वाहा।
गुण - चोरी गई हुई वस्तु वापिम मिलती है।
फल--राजगृहो नगरी के दिव्यत्वामी ब्राह्मण ने १५ बें इलोकसाहित उक्त मन्य को सिद्ध करके चोरी गया इमा अपना पन मन्त्राराधना के प्रभाव से पुनः प्राप्त किया था ।