Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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यन्त्र मन्त्र ऋद्धि प्रादि सहित
{६३ हे शरणागत के प्रतिपालक प्रशरण जन को एक शरण । कामविजेता त्रिभुवन नेता, चारु चन्द्रसम विमल वरण ।। तव पद-पङ्कज गा करके हे. प्रतिभाशाली बडभागी। कर न सका यदि ध्यान अापका, हूँ अवश्य तव हतभागी॥
श्लोकार्थ - हे भवनपावन ! अापके अशरशरण, शरणागतप्रतिपालक, कर्मविजेता और प्रसिद्ध प्रभावशानी चरण-कमलों को प्राप्त करके भी यदि मैंने उनका ध्यान नहीं किया तो मुझ सरीखा प्रभागा कोई नहीं ।। ४० ।। कर्मनिकदन महिमा सार, पसरनसग्न सुजम बिम्नार । माहि मेये प्रभु तुपरे पांग, नो मुझ जनम अकारथ जाय ।।
४० लि.... पो . हा- गलाम मधुसबीणं ।
मन्त्र--ॐ नमो भगवते भल्ब्यूँ नमः स्वाहा
विधि -श्रद्धापूर्वक इस मंत्र के जाप जाने से सब प्रकार के विषमज्वर दूर होते हैं
ॐ ह्रीं सर्वशान्तिकराय श्रीजिन चरणाम्बुजाय नमः ।
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१ -महसवाणं तथा महरसवाणं इत्यपि पाठः मधुमाकी जिनों को नमस्कार हो।