Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमन्दिर म्तोष सार्थ
बिस्तीर्णता कययति स्वधियाबुराशेः१॥॥ ।
बालोऽपि कि न निजबाहुयुगं वितन्य,
भ्युपतोऽस्मि नव नाथ ।जडादायोऽपि
श्लोक ५ ऋद्धि-ॐ ह्रीं प्रहं णमो धणबुद्धि (बुड्डि) कमए । मंत्र-ॐ पद्मिने नमः।
गुण-इस प्रकार इस मंत्र के प्रभाव तथा श्री पार्श्वनाथ स्वामी के प्रसाद से चोरी गया हुआ और जमीन में गड़ा हुमा धन एवं गुमा हुमा गोधन प्राप्त होता है।
फल-कारंजा के भूषणदस महाजन ने पंचम काव्य सहित उक्त मंत्र की साधना से अपनी गुप्त लक्ष्मी और चोरों बारा चराये हुए गोधन को प्राप्त किया था।