Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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यंत्र मन्त्र ऋद्धि श्रादि सहित
श्लोकार्थ - हे वरद ! मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि पहिले के अनेक जन्मों में मैंने मनोवांछित फलों के देने में पूर्ण समर्थ आपके पवित्र चरणों की पूजा नहीं की, इसीसे इस जन्म में में मर्मभेदी तिरस्कारों का श्रागार ( घर ) बना हुआ हूँ ६६
मनवांछित फल जिनपद मोहि, मैं पूरव भव पूजे नाहि । मायामगन फिर्यो धग्यान, करहि रंकजन मुझ अपमान || ३६ ऋद्धिह्रीं णमो वालवसीय रणकुसलाण वचणबलीगं मंत्र ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभाव चन्द्रेन्द्रमहिताय नयनमनोहराय ॐ चुलु चलु गुलु गुलु नीलभ्रमरि नीलभ्रमरि मनोहरि सर्वजन वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
। श्री भै० ० ० ० ० ६ श्लोक १८ ) विधि - दीपमालिका के दिन पीली गाय के शुद्ध घृत का दीपक जलाकर नये मिट्टी के बर्तन में काजल बनाये । पश्चात् कार्य पड़ने पर काजल मांख में लगाने से सब प्रादमी वश में होते हैं।
ॐ ह्रीं सर्वपराभवहरणाय श्रीजिनाय नमः ।
A worshipper of God can never suffer from bumitlutions and disappointments
Op
b God ! I believe that Thy ( pair of ) feet capable of granting desired gifts has not been worshipped by me even in the previous births That is why I have (now)
१- वचनबली जिनों को नमस्कार हो ।