Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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यन्त्र मन्त्र ऋद्धि प्रादि सहित
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मंत्र - यः यः सः सः हः हः धः वः उरुरिल्लय रुह हु ) रुहान्त ॐ ह्रीं पार्श्वनाथ दह वह दुष्टमार्गविषं क्षिप ॐ स्वाहा ।
( श्रीपार्श्वनाथस्तोत्रे गा० १६ मं० वि० पृ० ७१ ) विधि - इस मन्त्र से ७ वार अल मंत्रित कर जिस जगह सर्प काटा हो उस जगह छिड़कने से तथा उसी मंत्रित जल को पिलाने से सर्प का विष नाश होता है। अन्य विधे ले अधुनों के बिष का असर भी दूर होता है ।
ॐ ह्रीं प्रात्मस्वरूपध्येयाय श्रीजिनाय नमः |
Efficacy of meditation is extra-ordinary O h Lord of the Jinas! this soul, when meditated upon by the talented as non-distinct from Thee attains to Thy prowess in this world. Does not even water when looked upon as nectar verily destroy the effect of poison ? (17)
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सर्वविष विनाशक त्वामेव वीततमसं परवादिनोऽपि,
नूनं विभो ! हरिहरादिधिया प्रपन्नाः । कि काचकाम लिभिरीश ! सितोऽपि शङ्ख, नो गृह्यते विविधवर्णविपर्ययेण ? || १८ ||
हे मिथ्या सम अज्ञान रहित, सुज्ञानमूर्ति ? हे परम यती । हरिहरादि ही मान मना करते तेरी मन्दमती ॥
१- पूजा या उपासना |