Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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यंत्र मंत्र ऋद्धि आदि सहित भावार्थ-जैसे कि जल अग्नि को बुझाता है। लेकिन उमी जल को बडवानल सोख लेता है; वैसे ही है भगवन् ! जिस काम ने हरिहरादिक देवों को जीत लिया है, उसो काम को मापने क्षण भर में पराजित किया है। जिन सब देव किये बस वाम, त लिन में जीत्यो सो काम । ज्यों जल कर अग्निकूलानि, बडवानल पीवै सो पानि ।।
११ ऋद्धि-ॐ ह्रीं अहं णमो वाग्यिालणबुद्धीर्ण विउलमदीणं'।
मंत्र-ॐ नमो भगवति अग्निस्तम्भिनि ! पञ्चदिग्यो. नरणि ! श्रेयस्करि ! प्रज्वल प्रज्वल प्रज्वल सर्वकामार्थसानि ! ॐ अनलपिङ्गलोय के शिनि ! महाधिव्याधिपतये स्वाहा।
विधि-इस महामंत्र को भोजपत्र पर केशर प्रथवा हरताल से लिखकर उसे बढ़ती हुई अग्नि में डालने से तज्जन्य उपद्रव शान्त होता है।
ॐ ह्रीं हुतभन्भयनिवारकाय श्री जिनाय नमः । श्री फन यद्धिपार्श्व ( नाथ ? ) स्वामिने नमः ।
He establishes the pre-ecidence of Lord Persyn fo virtue
Df His dispassion
Even that Cupid ( the husband of Rati ) wbo baffled even Harr ( Siva ) and others was destro. yed within a TIDIment by Thee. ( For ), is not even that water which extinguishes ( earthly)