Book Title: Kalyanmandir Stotra
Author(s): Kumudchandra Acharya, Kamalkumar Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री कल्याणमंदिर स्तोत्र सार्थ
मंत्र - ॐ नमो मेरु महामेरु, ॐ नमो गौरी महागौरी, ॐ नमो काली महाकाली, ॐ नमो ) इंदे महाइंदे, ( नमो ) जये महाजये, ( ॐ नमो विजये महाविजये, ॐ नमो पण्णसमणि महापण्णसमिणि अवतर अवतर देवि अवतर (अवतर ) स्वाहा'
विधि - श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का ८००० बार जप करके मंत्र सिद्ध करे तथा आईना को उक्त मंत्र से मंत्रित कर सफेद स्वच्छ पवित्र कपड़े पर रखे, फिर उसके सामने किसी कुंवारी कन्या को सफेद वस्त्र पहना कर बिठावे पश्चात् उससे जो बात पूछोगे उसका वह सच्चा उत्तर देगी ।
ॐ ह्रीं हृदयाम्बुजान्वेषिताय ( श्रीजिनाय नमः ।
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Jina the Yogins always search after Thee, the supreme soul in the interior of their heart-lotus-bud Or why, is there any other abode for the pure and the unsulliedly splendid lotusseed than the pericarp
(14) चोरिकागत द्रश्य दायक
ध्यानाज्जिनेश ! भवतो भविनः क्षणेन,
देहं विहाय परमात्मदशां व्रजन्ति । तीव्रानलादुपल भावमास्य भावमस्य लोके, चामीकरत्वमचिरादिव धातुभेवाः ।। १५ ।।
जिस कुधातु से मोना बनता. तीव्र अग्नि का पाकर ताव | शुद्ध स्वर्ण हो जाता जैसे, छोड़ उपलता पूर्व विभाव ||
१ विकृत अवस्था १
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