Book Title: Jivan ki Khushhali ka Raj
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 17
________________ यह जो बहुत सुंदर चेहरा है, इस पर एक दिन झुर्रियाँ छा जाने वाली हैं, यह सीधी कमर एक दिन झुक जाने वाली है, आंखों से एक दिन रोशनी कम हो जाने वाली है, कानों से सुनने की शक्ति भी कम हो जाने वाली है। यह शरीर जिसे तुम इतना सजा-सँवार रहे हो, एक दिन यह भी टूट जाने वाला है। 'अंगम् गलितम् , पलितम् मुंडं दशनविहीनं जातम् तुडं, वृद्धोयाति गृहीत्वा दंडम्, तदपि न मुंचति आशापिंडम्', आचार्य शंकर कहते हैं अंग गल गए हैं, कमर झुक गई है, आँखें देख नहीं पा रही हैं, कान सुनने में असमर्थ हैं, वाणी बंद हो रही है, सिर के बाल सफेद हो गए हैं लेकिन फिर भी शरीर का मोह है कि छूटता ही नहीं है। काम से प्यार करें सुखी जीवन का तीसरा मंत्र है अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहें।' अगर आप डॉक्टर हैं तो अपने पेशे के प्रति जागरूक रहें, दुकान चला रहे हैं तो दुकान के कार्य से प्यार करें। अगर किसी के यहाँ नौकरी कर रहे हैं तो उसके प्रति कार्य में प्रतिबद्धता रखें। मैं कहना चाहूँगा कि आप किसी के यहाँ नौकरी करके पाँच हजार का वेतन पाते हैं तो सात हजार का काम अवश्य करें। ऐसा न हो कि तीन हजार का काम करें और वेतन पाएं पांच हजार । सरकारी कर्मचारी हैं तो ऐसा न करें कि ऑफिस में कुर्सी पर बैठकर गप्पे मारें या नींद निकालें। सरकार के आधे काम इसीलिए अटक जाते हैं और दुगुने ऑफीसर इसीलिए चाहिये क्योंकि आधे लोग तो झपकियाँ ही लेते रहते हैं या काम करने की बजाय गप्पे मारते रहते हैं। जितना वेतन लेते हैं, उतना काम अवश्य करें और वह भी ईमानदारी से करें। तब बॉस भी आपके अधीन हो जाएगा और वह आपको नौकरी से न निकाल सकेगा। याद रखें कहीं भी, कभी भी इतना अवकाश न लें कि बॉस समझे कि बिना आपके काम चल सकता है। ___ हम अपने जीवन में काम से प्यार करने की कोशिश करें। अपने जीवन को व्यर्थ न गँवाएँ। जानते हैं न, खाली दिमाग शैतान का घर होता है। हर पल का उपयोग करें। जिस कार्य से आप जुड़े हैं, उसे तत्परता, तन्मयता, एकाग्रता, लयबद्धता से पूर्ण करें। आप अनुभव करेंगे ऐसा करके आप सच्चे कर्मयोगी बन गये हैं। Jain Education International For Person 16 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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