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तू मेरी हर जरूरत का ध्यान रखता है, · मेरी हर जरूरत पूरी करता है । तेरी परम कृपा है कि कभी-कभी मुझे उपवास करने का मौका भी दे देता है। तू तो परम दयालु है, मेरी साधना का भी ध्यान रखता है, मेरी आराधना का ध्यान रखता है, ऐसा करके तून मुझे उपवास का मौका दे दिया।
अब आप ही बताएं भला ऐसे आदमी की मस्ती को कौन छीन सकता है। उसकी शांति और साधुता को कौन छीन सकता है। आप तनाव, चिन्ता, घुटन में से बाहर निकलना चाहते हैं तो हर समय व्यस्त और मस्त रहें और ध्यान रखें बूढ़े भी हो जायें तो काम से जी न चुरायें। छोटे-छोटे ही काम करें पर कर्मयोग अवश्य करें। साथ ही अपने भीतर की मस्ती को बरकरार रखें । अगर आप इतना करते हैं तो निश्चित ही चिन्तामुक्त जीवन जीने में समर्थ हो जाएंगे। प्रकृति की गोद में रहें जैसा हो रहा है, जो हो रहा है, जिस रूप में हो रहा है उसे स्वीकार करें। सुख, सुविधाओं में नहीं है सुख भीतर की मस्ती में है, मन की शांति में है। चिता जलायें, चिंता की
वक्त-बेवक्त, वजह-बेवजह दिमाग पर हावी चिंताएं हमें अंदर से खोखला करती हैं। अच्छा होगा हमेशा चिंताओं के निमित्त पालने के बजाय उन्हें भूलने की कोशिश की जाए। सकारात्मक सोच हमारी चिंताओं को चिन्तन में तब्दील कर सकती है। एक बार संबोधि-ध्यान शिविर में हमारा उद्बोधन था चिंता, चिंतन और चिता विषय पर। मैंने हॉल में बैठे सभी लोगों से पूछा कि यहाँ बैठे लोगों में से कितने लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोई-न-कोई चिंता हमेशा सताती रहती है। हॉल में बैठे लगभग सभी लोगों ने अपने हाथ उठाकर संकेत दिया कि सभी लोग चिंतित है। ___ मैंने कहा कि यदि आप चिंतातुर रहेंगे तो मेरी बातों को न तो गहनता से समझ पाएंगे और न ही चिंताओं से मुक्त हो पाएंगे। मैंने कहा, मेरा उद्बोधन सुनने से पहले में आप सब लोगों की चिंताए आप लोगों से लेकर अपने पास रख लेता हूँ ताकि आप चिंता मुक्त होकर मेरी बातों को ग्रहण कर सकें। मैंने एक-एक काग़ज़ सभी श्रोताओं के पास भिजवा दिया और कहा कि आप केवल एक काम करें, इस कोरे काग़ज़ पर अपनी-अपनी चिंताएं लिखकर काग़ज़ मुझे सौंप दें और आप चिंता मुक्त हो जाएं। जब तक व्यक्ति चिंतामुक्त न होगा तब तक चिंतामुक्ति के उपाय समझ भी न पाएगा।
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