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औरों की तारीफ़ करने की और सुनने की आदत डालें। घर के सदस्यों को हमेशा अतिथि मानकर चलें, ताकि उनके सम्मान में कभी कमी न आए और अतिथि को हमेशा भगवान। अगर अतिथि से कोई कांच की गिलास फूट जाए तो आप कहते हैं न ठीक है, ठीक है, कोई बात नहीं। अतिथि के सामने तो इतना बड़प्पन दिखाते हो और अगर घर की बहू से ग्लास फूट जाए तो उसे अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। घर के सदस्य को भी अतिथि का दर्जा दो ताकि तुम उनके साथ ग़लत तरीके से पेश न आओ और अतिथि को भगवान का स्वरूप मानो ताकि उन्हें पूर्ण सम्मान दे सको। शालीनता में ही कुलीनता _ विनम्र रहें और मधुर वाणी का उच्चारण करें। आपके व्यवहार की शालीनता आपके जीवन को ऊंचा उठाएगी। किसी की कुलीनता की पहचान उसकी सम्पत्ति से नहीं उसकी शालीनता से होती है। आप किसी मीटिंग में हैं
और एक अन्य व्यक्ति थोड़ी देर से आता है तो आप उसके सम्मान में खड़े हो जाएँ यह आपकी शालीनता है। देकर पाएं मान-सम्मान
दुनिया में सम्मान पाने का एक ही तरीक़ा है कि औरों को सम्मान दो। गाली-गलौच आपको शोभा नहीं देती। दोस्तों के बीच, यह सोचकर कि यहाँ तो सब चलता है, उल्टी--सीधी भाषा का प्रयोग करना, अपशब्द बोलना तुम्हें शोभा नहीं देता। क्या आप शराबी हो, पियक्कड़ हो जो ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो। शब्दों का उपयोग तौल-तौलकर किया जाए। कुछ लोग होते हैं, जो बोलने के बाद सोचते हैं, कुछ लोग बोलते हुए सोचते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं, जो बोलने से पहले सोचते हैं। जो बोलने के बाद सोचते हैं उनके पास सोचने के अलावा कुछ नहीं होता, लेकिन जो सोचने के बाद बोलते हैं उन्हें बोलने के बाद कभी सोचना नहीं पड़ता। ___आप नहीं जानते आप मज़ाक-मज़ाक में किस तरह के अपशब्द कह देते हैं। घर में बहू-बेटियाँ होती हैं और आप बैठक-रूम में बैठकर भद्दे मज़ाक करते रहते हैं। किसी एक के पीछे घर की मान-मर्यादा को भंग नहीं किया जा सकता। व्यक्ति से बढ़कर घर की मर्यादा और कुलीनता होती है जिसे घर की मर्यादा और कुलीनता का ख्याल नहीं, वह घर में रखने लायक
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