________________
मैं मानता हूं नवकार मंत्र का मूल्य है, गायत्री मंत्र का भी मूल्य है, मैं यह भी जानता हूं कि संसार में जितने मंत्र हैं उन सभी का मूल्य है, पर आप यह सोचें कि अगर जीवन ही न रहा तो इन मंत्रों का क्या उपयोग होगा। आज जब हम जीवन के बारे में समझने का प्रयास कर रहे हैं तो समझेंगे कि जीवन के ऐसे कौनसे मंत्र होते हैं जिन्हें अगर हम जिएँ, जिह्वा से गुनगुनाएं, कानों से श्रवण करें, आंखों से देखें और जीभ से चखें तो मंत्र हमारे जीवन का कायाकल्प कर सकते हैं। ये वे मंत्र हैं जो हमारे जीवन की दशा और दिशा बदल सकते हैं । जीवन का पुनरुद्धार कर सकते हैं। संसार का मायाजाल
वृक्ष की जड़ें जैसे जमीन में होती हैं, मैं देख रहा हूं कि मनुष्य की जड़ें भी वैसे ही संसार में फंसी हुई हैं। व्यक्ति अभी तक अपने जीवन का कोई मार्ग तय नहीं कर पाया है। वह चला जा रहा है, क्योंकि चलने का रास्ता सामने है। जीवन के प्रति लोगों का कोई साफ-साफ दृष्टिकोण नहीं है कि वे कहाँ पहुँचना चाहते हैं, क्या बनना चाहते हैं, क्या पाना चाहते हैं और जिंदगी में क्या होना चाहते हैं। जैसे-जैसे वृक्ष बडा होता है, उसकी जड़ें गहरी होती हैं, वैसा ही मनुष्य के भी साथ होता है। वह जैसे-जैसे उम्र से बढ़ता जाता है उसकी जड़ें भी संसार में गहरी होती जाती हैं। परिणामतः जो व्यक्ति शांति पाने की कोशिश करता है, उसे अशांति मिलती है। जो मुक्ति पाने की कोशिश करता है उसे संसार की धारा मिलती है। व्यक्ति जो महानताओं को पाना चाहता है, क्षुद्र तत्वों और वस्तुओं के मायाजाल में उलझकर रह जाता है।
आज व्यक्ति के लिए धर्म पूजा-पाठ और आराधना का निमित्त तो ज़रूर है पर यह बाह्य धर्म मनुष्य के मन को शांति नहीं दे पा रहा है। देखता हूं, चालीस साल तक मंदिर में पूजा करने वाला व्यक्ति जब हमारे पास आता है तो कहता है - क्या बताऊं, मन में अभी भी शांति नहीं है। ये वर्षों से सामायिक करने वाले भाई और बहनें भी यह कह रहे हैं कि मन में शांति नहीं है। और तो और तीस साल से संत का जीवन जीने वाला व्यक्ति भी इसी उधेड़बुन में है कि मन में शांति नहीं है। धर्म तो वास्तव में जीवन को सुख और शांति से जीने की कला ही देता है।
91
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org