Book Title: Jivan ki Khushhali ka Raj
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 106
________________ सम्राट चुप हो गया। अब बोलने की बारी फ़क़ीर की थी। फ़क़ीर ने कहा, 'सम्राट, तुम मेरे एक प्रश्न का जवाब दो। सोचो कि तुम अपने सैनिकों के साथ खेलने जंगल में गए। वहाँ तुम मार्ग भटक गए और अपने सैनिकों से बिछुड़ कर जंगल में बिलकुल अकेले पड़ गए। गर्मी तेज थी वहाँ तुम्हें जोर की प्यास लगी। आसपास खूब तलाश करने के बाद भी तुम्हें कहीं पानी न मिला। न तालाब दिखा, न कुआँ और तो और कहीं नाला भी न मिला। भयंकर गर्मी में तुम प्यास से तड़पने लगे। तुम्हें लगा कि अब आधा एक घंटा और पानी नहीं मिला तो प्यास के मारे तुम्हारे प्राण ही निकल जाएँगे। तुम्हारा मन प्यास से आकुल-व्याकुल हो रहा है। तभी एक युवक वहाँ पहुंचता है और तुमसे कहता है कि उसके पास एक लोटा ठंडा मीठा पानी है क्या तुम पीना चाहोगे?' 'तुम यकायक पानी देखकर एकदम प्रसन्न होकर पानी पीना चाहोगे लेकिन युवक तुमसे इस पानी की कीमत मांगेगा। तब तुम क्या करोगे?' सम्राट ने कहा एक स्वर्ण मुद्रा दे दूंगा। फ़क़ीर ने कहा, अगर तब भी वह पानी न दे तो? सम्राट ने कहा, 'दस स्वर्ण मुद्रा दे दूंगा।' फ़क़ीर ने कहा, 'अगर तब भी वह पानी न दे तो?' सम्राट ने कहा, ' सौ स्वर्ण मुद्राएं दे दूंगा फिर भी नहीं देगा तो हजार या लाख स्वर्ण मुद्राएं भी दे दूंगा।' फकीर ने पूछा, 'अगर तब भी वह पानी न दे तो?' सम्राट ने कहा, 'मरता क्या न करता, मैं अपना अंतिम दाँव खेलूंगा, क्योंकि प्यास तो जरूर बुझाऊंगा, उसे आधा साम्राज्य दे दूंगा और एक लोटा पानी ले लूंगा।' फ़क़ीर ने कहा, 'तुम्हारा आधा साम्राज्य भी अगर एक लोटा पानी न दिला सके और वह युवक फिर भी इनकार कर दे तो ?' सम्राट ने कहा, 'तब मैं उसी से पूछ लूंगा कि वह क्या कीमत चाहता है।' फ़क़ीर ने कहा, 'वह कहे कि मुझे तुम्हारा पूरा साम्राज्य चाहिए तब तुम्हें एक लोटा पानी मिल सकता है। एक ओर तुम्हारा जीवन दूसरी ओर पूरा राज्य, बोलो सम्राट सोचकर निर्णय दो कि तब तुम क्या करोगे?' कुछ क्षणों तक सम्राट मौन रहा। फ़क़ीर ने पूछा, 'क्या तुम मना कर दोगे?' सम्राट ने कहा, 'नहीं। सत्ता और साम्राज्य से भी बड़ी आदमी की जिंदगी होती है और जिंदगी बचाने के लिए सत्ता और साम्राज्य की कुर्बानी दी जा सकती है।' फ़क़ीर साहब, 'तब मैं अपनी जिंदगी और प्राणों को बचाने 105 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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