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लगता है। जो शांत स्वभाव का होता है उसे सफेद रंग अच्छा लगता है। जिसकी जैसी चित्त की प्रकृति होती है वैसे-वैसे रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करता है। व्यक्ति आकांक्षाओं के मकड़जाल में न उलझे, अपनी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की सीमा बनाए। रहने के लिए मकान है, खाने के लिए रोटी है, पहनने के लिए कपड़े हैं, समाज में इज्जत की ज़िंदगी है तो विश्राम लो। अपनी आवश्यकता जितना ही धन कमाओ और बेवज़ह उलझकर रातों की नींद न गंवाओ और न दिन का चैन खोओ। कल नहीं, बस यही पल ___कल्पनाओं की उधेड़बुन मन को अशांत करती है। कल्पनाओं में खोकर आज का सुख-चैन समाप्त न करो। हम आज के लिए केवल दस प्रतिशत सोचते हैं और कल के लिए नब्बे प्रतिशत सोचते हैं। जो आज है व्यक्ति उसके बारे में कम चिंतन करता है और जो भविष्य है जिसका आज कुछ पता ही नहीं उसके लिए अपना वर्तमान गंवाता रहता हैं। कल की जिंदगी मिलेगी तो कल की व्यवस्था भी मिलेगी। हम आज में जिएं, न कि भविष्य की योजनाओं में। व्यक्ति को चिंता रहती है कि छह पीढियाँ तो आराम से रह सकेंगी पर सातवीं पीढ़ी का क्या होगा। तुम अपनी सोचो जो कल होगा उसकी बच्चे खुद व्यवस्थाएं करेंगे। भविष्य की चिंता में आज के आनन्द से क्यों वंचित रहते हो।
मुझे याद है - एक दंपति के संतान नहीं थी। शादी को सोलह वर्ष हो चुके थे, लेकिन उन्हें न तो पुत्र हुआ और न ही पुत्री । सभी देवी-देवताओं को मनाया, तंत्र-मंत्र सब किया, लेकिन कोई लाभ न हुआ। आखिर एक ज्योतिषी के पास गए, उन्होंने सुन रखा था कि वह ज्योतिषाचार्य जो कहता है वह जरूर हो जाता है। उसे उन्होंने अपनी जन्म पत्रियाँ दिखाईं। ज्योतिषी ने जन्मपत्री देखकर कहा कि संतान का योग तो है और ठीक नौ महीने बाद तुम्हारे संतान होने वाली है। उन्होंने ज्योतिषाचार्य को पांच सौ रुपये भेंट किये और खुशी-खुशी घर आए कि नौ माह बाद अपने यहाँ बेटा होने वाला है।
अब उन्होंने योजनाएँ बनानी शुरू कर दी कि बेटा होने वाला है तो क्या-क्या करना है। सोचने लगे कि सोलह-सत्रह साल बाद बेटा होगा और वे नगर के सर्वाधिक सम्पन्न लोगों में से हैं सो शहर के सारे लोगों को
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