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इसी में है कि वचन देने के पहले हजार दफा सोच लो। अपने दिए गए वचन को मरकर भी निभाने की कोशिश करें। ली गई प्रतिज्ञा और दिये गये वचन हर हालत में निभाए जाने चाहिए।
अपनी ओर से अगली बात कहना चाहता हूँ : आप अहसानमंद रहें पर किसी पर अहसान जतलाने की कोशिश न करें। जीवन में किसी से पाकर कभी कृतघ्न न बनें और किसी का कुछ करके उससे कृतज्ञता की अपेक्षा भी न करें। नेकी कर, दरिया में डाल - किसी का कुछ करो, तो इसी भावना से। बेवक्त में काम आएँ
जीवन का अगला क़दम है कि भरोसेमंद बनें और वफ़ादारी निभाने की कोशिश करें। जब जिसके साथ कोई बात कही गई, कोई करार किया तो विपत्ति से विपत्ति की वेला में भी प्राणप्रण से उसके मददगार बनिये और उसके काम आने की कोशिश कीजिए। यह होगी आपकी वफ़ादारी और भरोसे का इम्तहान।
जीवन में कभी किसी से द्वेष न रखें, क्षमा करें और कड़वी बातों को भल जाएँ। आप राग को नहीं छोड़ सकते, कोई बात नहीं, पर किसी के प्रति द्वेष न पालें। अपनी ओर से क्षमा करें और ग़लत वातावरण, अशुभ व्यवहार को जीवन में भूलने की कोशिश करें।
सच्चाई, ईमानदारी, निष्कपट व्यवहार के साथ जीवन जीएँ। प्रभावी व्यवहार का अंतिम सूत्र है कि अपने जीवन में सदा विनम्र बने रहें। जो जितना महान होता है, वह उतना ही विनम्र होता है। कैरी जब तक कच्ची होती है तब तक अकड़कर रहती है लेकिन जैसे ही वह रस से भरती है, माधुर्य से भरती है, कैरी चुपके-चुपके आम बन जाती है और धीरे से झुक जाती है।
ये जीवन की गीता के अध्याय हैं, सूत्र हैं, जो मैंने आपके सम्मुख रखे हैं। आप अपने जीवन में इन्हें उतारेंगे तो निश्चय ही आप बन सकेंगे प्रभावी शख्सियत के मालिक।
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