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मूल्य है पर उससे भी ज्यादा मूल्यवान मेरे मन की शांति है । जहाँ मेरे मन की शांति भंग होती है मैं ऐसी सभा में बैठना पसंद नहीं करता । उस सभा से मैं निकल आता हूँ और कह आता हूँ कि जब आप शांत हो जाएँ तो मुझे बुला लेना । '
बहस, तर्कबाजी और व्यर्थ में किसी बात को घसीटना कब तक करोगे। सारी दुनिया को सुधारने का ठेका तुमने तो नहीं ले रखा है। अगर किसी को तुम्हारी बात नहीं माननी तो कब तक घसीट-घसीट कर मनवाने की कोशिश करोगे। एक व्यक्ति से किसी ने पूछा 'तुम्हारा नाम क्या है ?' उसने कहा 'घ.....घ......घ...... घसीटाराम' फिर उसने पूछा 'तुम्हारा क्या नाम है ?' पहले वाले ने कहा 'नाम तो मेरा भी घसीटाराम है, पर मैं इतना घसीट कर नहीं बोलता ।'
बात तो आप भी कहते हैं और मैं भी करता हूँ फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि घसीट-घसीट कर हम बात को कमज़ोर कर देते हैं और जब किसी बात का अधिक दबाव बनाते हैं, तर्क करते हैं तो बात तक़रार में बदल जाती है। नरम लफ़्ज़ों में ठोस बात कहें, लेकिन कड़े लफ़्ज़ों में कभी भी ओछी बात न कहें । पीठ पीछे भी तारीफ़
व्यवहार के आईने को साफ-सुथरा रखने के लिए अगली बात है कि किसी के बारे में पीठ पीछे टिप्पणी न करें। यह आपके व्यवहार का दोष है । जब सामने वाले व्यक्ति को ख़बर लगती है तो वह मानसिक रूप से आपसे टूटता है। अगर आपको कहना है तो उसी के सामने सम्मानपूर्वक अपनी बात कहें, क्योंकि हो सकता है कि दूसरे के सामने आपने उसकी बात की, उसने किसी दूसरे से कही और उसने उसी व्यक्ति को जाकर कह दी, जिसके संबंध में आपने कहा था। चार मुँह से निकली बात मिर्च-मसाले के साथ संबंधित व्यक्ति तक पहुँचेगी तो आपकी छवि का क्या हश्र होगा। आपके संबंधों में दरार आ सकती है और आपका व्यवहार कमज़ोर हो सकता है। निभाएँ प्रतिज्ञा और वचन को
प्रभावी शख़्सियत के लिए जरूरी है कि अपने द्वारा किये गए वायदों को ज़रूर पूरा करें। अगर आप वचन देते हैं तो उसे पूर्ण करने की जिम्मेदारी निभाएँ। जीवन में दिए गए वचन पूर्ण करने के लिए हैं । आपकी बुद्धिमत्ता
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